जो बहुत दूर दिखता है, वो अपने दिल में ही मिलेगा || आचार्य प्रशांत (2024)

2024-08-25 2

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वीडियो जानकारी: 20.08.24, संत सरिता, ग्रेटर नोएडा

प्रसंग:

पानी में मीन पियासीपानी में मीन पियासी,
मोहे सुन सुन आवत हाँसी।।

आतमज्ञान बिना नर भटके,
कोई मथुरा कोई काशी।।
जैसे मृगा नाभि कस्तूरी,
बन बन फिरत उदासी।।

जल बिच कमल, कमल बिच कलियाँ,
तापर भँवर निवासी।।
सो मन बस त्रयलोक भयो है,
यति सती संन्यासी।।

जाको ध्यान धरे विधि हरिहर,
मुनि जन सहस अठासी।।
सो तेरे घट माहिं बिराजे,
परम पुरुष अविनाशी।।

है हाज़िर तोहे दूर दिखावे,
दूर की बात निरासी।।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो,
गुरु बिन भरम न जासी।।
~ कबीर साहब

मयि सर्वाणि कर्माणि संन्यस्याध्यात्मचेतसा ।
निराशीर्निर्ममो भूत्वा युध्यस्व विगतज्वरः ॥
भगवद गीता - 3.30

है हाज़िर तोहे दूर दिखावे, दूर की बात निरासी ।
कहैं कबीर सुनो भई साधो, गुरु बिन भरम न जासी ॥
संत कबीर

~ साधन क्या है? साध्य क्या है?
~ कब साधन ही साध्य बन जाता है?
~ सरताज कौन है?
~ मंज़िल किसे मिलती है?
~ गुरु किसके काम आते हैं?
~ हमारा सारा प्यार किसके लिए है?
~ असफल खोजें कौन सी होती हैं?
~ दुनिया से बड़ा कुछ क्यों नहीं मिल सकता?
~ संसार की प्रकृति क्या है?
~ छोटी माँग किसका प्रतीक है?
~ बड़े की खोज में निराशा क्यों मिलेगी? क्यों उनका सौभाग्य होता है जिन्हें सीधे ही बड़ी चीज चाहिए?


संगीत: मिलिंद दाते
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